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Showing posts from June, 2021

बिहार की शिक्षा व्यवस्था।

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  बिहार की शिक्षा व्यवस्था। बिहार देश की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला ओर सर्वाधिक नवयुवकों वाला राज्य है। बिहार के लोगों की प्रतिभा का कायल पूरा संसार है। यही वो धरती है , जहां से आजादी का बिगूल बजा था। यह कला एवं संस्कृति के मामले में विशेष रूप से समृद्ध है। यही राज्य ने समूचे विश्व को नालंदा विश्वविद्यालय जैसे   उत्कृष्ट जगह प्रदान किया। जहां पर लोग शिक्षा से  अवगत हो सके। लेकिन आज के समय में , यहां की शिक्षा व्यवस्था उच्च कोटि की नहीं रही। किसी भी समाज का उत्थान वहां की सरकार और नागरिक के सहयोग के बगैर नहीं हो सकती। आजादी के बाद भी इस राज्य की ऐसी दुर्दशा है। यहां के जनता व विद्यार्थियों के साथ अन्याय किया जा रहा है।वैसे यहां की जनसंख्या के आंकड़े कम नहीं।लेकिन सरकार का यह दायित्व बनता है। शिक्षा ओर समाज के उत्थान में अपना शत प्रतिशत योगदान करे।लेकिन ऐसा कभी आजादी के बाद देखने को नहीं मिला। प्राथमिक विद्यालयों में  उच्च कोटि की शिक्षा नहीं दी जाती। शिक्षक  आराम से तनख्वाह पाता है। शिक्षक व सरकार का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को आसानी से पास व उत्कृष्...

विश्व पर्यावरण दिवस,5 जून।

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  विश्व पर्यावरण दिवस । विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है।यह सत्र पहली बार 1974 में हुआ था ।यह पहल संयुक्त राष्ट्र संघ के नेतृत्व में प्रत्येक वर्ष होता रहा है। इसमें करीब 150 देश शामिल होते है।इस संगठन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा, जनसंख्या नियंत्रण , समुद्री प्रदूषण, वैश्विक तापमान, वन्य जीव एवं वनस्पति की रक्षा संबंधित चर्चे किए जाते है। पर्यावरण की रक्षा से जुड़े सभी समस्याओं पर चर्चा ओर उसके समाधान पर निर्णय लिए जाते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर, संयुक्त राष्ट्र संघ एवं सभी सदस्य देश विश्व व्यापी जागरूकता अभियान , सोशल मीडिया, चलचित्र, समाचारपत्रों,  एवं  सुप्रसिद्ध हस्तियों के माध्यम से लोगों को जागरूक करते है। मनुष्य का जब से सोचने ओर समझने की क्षमता विकसित हुआ है।तब से इसने पर्यावरण का दोहन करता रहा है। ओर इसका मुख्य कारण विज्ञान ओर आधुनिकीकरण ही है । हमने बहुत हद तक इसका समर्थन किया है। यही कारण है,आज हम सबको प्रकृति अपना वास्तविक रूप दिखा रही है।इस पूरे कोरॉना काल में प्रकृति ने हम सब के चेहरे पर मुखौटा लगा ही दिया।आज तरह तरह ...

इम्यूनिटी मजबूत करने के 10 तरीके ।

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  इम्यूनिटी मजबूत करने के 10 तरीके । प्रिय मित्रों, में आपको इस लेख में शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के 10 तरीके बताने जा रहा हूं । आशा है आप इसे जरूर पसंद करेंगे। इसको अपने दैनिक जीवन में उतारकर आप अपने शरीर को बेहतर बना सकते हैं। 1. गिलोय (गुरीच) - यह एक प्रकार की लत्ती व चमत्कारी औषधि है।जो जंगल में वृक्ष के शाखा में लिपटा हुआ मिल जाएगा।यह एक परजीवी पौधा है।इसमें सभी तरह के औषधीय गुण मौजूद हैं।यह आपके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बना देता है ओर रक्त को शुद्ध करता है। कब्जियत, नपुंसक्ता, दुर्बलता, खून की कमी को दूर करता है। 2. सिंह क्रिया - यह क्रिया आपके  फेफड़े ओर स्वसन तंत्र को बहुत ही बेहतर बना देता है।अगर आपको स्वास से संबंधित समस्या है।तो आपको सिंह क्रिया अवश्य करनी चाहिए। *यह क्रिया करने के लिए। •पद्मासन में बैठे,(पाल्थी लगाकर बैठ जाएं) •दोनों हथेली से घुटने को पकड़े, पीठ की रीढ़ को सीधा रखें। •ओर जीभ निकालकर 21 बार हाफना है ,जोर से । *इसे सही ढंग से करने के लिए यूट्यूब पर सिंह क्रिया खोजे ओर सदगुरु के निर्देशन में करें।   https://youtu.be/GxAGh3CRPM0 3...

भीष्म पितामह ने अपना शरीर 58 दिन बाद क्यों त्याग किया?

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भीष्म पितामह ने अपना शरीर 58 दिन बाद क्यों त्याग किया?  भीष्म पितामह से आप सभी अवश्य अवगत होंगे। भीष्म पितामह, वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत के प्रमुख पात्र है। महाभारत में वे एक कुशल योद्धा के रूप में गिने जाते है। भीष्म पितामह कुरु वंश के महाराजा शांतनु और माता गंगा के पुत्र थे । वे गंगापुत्र , भीष्म पितामह, देवदत्त आदि नामो से जाने जाते है। देवदत्त अपने पिछले जन्म में अष्ट वशु गण में प्रमुख थे। ऋषि वशिष्ठ के कुटिया से गौ चुराने के कारण उन्हें मृत्यु लोक में जन्म लेने का श्राप मिला। वे एक शूरवीर योद्धा, कुलश्रेष्ठ, ब्रह्मचारी और रण कौशल में श्रेष्ठ थे।उन्हें रण कौशल परशुराम जी ने सिखाया था। ब्रह्मा, गुरुवृहस्पति, शुक्राचार्य,इन्द्र आदि के द्वारा भी शिक्षा मिला।ओर वे इनके प्रमुख गुरु थे। देवदत्त अपने पिता के इच्छा को पूरा करने के लिए,आजीवन ब्रह्मचर्य  प्रतिज्ञा कर ली।ओर देेवदत(भीष्म पितामह) ने जीवन पर्यन्त हस्तिनापुर की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा की थी।जिसके कारण उन्हें धृतराष्ट्र ओर अधर्म का साथ देना पड़ा।ओर वे कौरव पक्ष से युद्ध किए, उन्होंने युद्ध भूमि में भी भीषण प्रतिज्ञा की...